ज़ी न्यूज़ से बोले PM मोदी; सिर्फ नोटबंदी और जीएसटी से हमारे काम को आंकना अन्याय होगा
प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार किसी हिन्दी न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में नरेंद्र मोदी ने देश में जाति आधारित राजनीति, गोहत्या और लोकतंत्र खतरे में है जैसे मुद्दों पर कहा कि यह देश का दुर्भाग्य है। इन मुद्दों के बजाय देश में विकास, एकता और हमारे दूरगामी भविष्य के मुद्दों पर राजनीति होनी चाहिए।
चिदम्बरम को है मलाल की वो नहीं रहे पूर्ण बहुमत वाली सरकार के वित्त मंत्री
गुजरात में पूर्व वित्त मंत्री पी चिंदबरम ने अपने मन का मलाल जाहिर किया। पत्रकारों के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि उन्हें ज़िंदगी में एकमात्र पछतावा है कि वो कभी भी पूर्ण बहुमत वाली सरकार के वित्त मंत्री नहीं बन पाए। इसके साथ ही पूर्व केन्द्रीय वित्त मंत्री ने भाजपा सरकार की नीतियों पर भी हमला बोला।
मोदी के खिलाफ फिर बोले यशवंत, कहा- कार बिकने का मतलब विकास नहीं
पूर्व वित्त मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता यशवतं सिन्हा का देश की 'बदहाल अर्थव्यवस्था' को लेकर केन्द्रीय सरकार पर बरसने क्रम जारी है। सिन्हा ने फिर एक बार आर्थिक नीतियों को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला है साथ ही राजशक्ति पर लगाम लगाने के लिए लोकशक्ति का आह्वान भी किया है।
पीएम बोले- केवल विकास का आइडिया ही सब कुछ नहीं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्रामीण भारत को विकसित करने के संकल्प के साथ विकास को गति देने के लिए समय सीमा के भीतर काम पूरा करने की सलाह भी दी। उन्होंने कहा कि लाभार्थियों को विकास का लाभ सही समय पर मिले तभी वो अर्थपूर्ण होगा। साथ ही उन्होंने अपने आलोचकों को ये कहते हुए खामोश कराने की कोशिश की कि केवल विकास को लेकर विचार से ही काम नहीं चलेगा बल्कि इस दिशा में कुछ करना भी होगा।
जिन्हें विकास चाहिए उन्हें भुगतान भी करना पड़ेगा : अरूण जेटली
जो लोग देश के विकास की मांग करते हैं, उन्हें जरूरी भुगतान देने की भी ज़रूरत है और इस पैसे का इस्तेमाल ईमानदारी से खर्च करने की जरूरत है। यह कहना है केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली का। इसके साथ ही वित्त मंत्री ने यह भी संकेत दिया है कि राजस्व की स्थिति बेहतर होने के बाद माल एवं सेवा कर जीएसटी के तहत स्लैब में कटौती की जा सकती है।
क्या कहती है भारतीय कॉरपोरेट जगत की चुप्पी?
उत्साह जगाने में नाकाम विकास सरकार के लिए चिंता का विषय होना चाहिए लेकिन सरकार के लिए चिंतित होने की एक और वजह है और वह है भारतीय कॉर्पोरेट जगत की चुप्पी। भारत के मुखर लोकतंत्र का यह तबका निश्चित रूप से कम मुखर है। कॉर्पोरेट जगत सरकार के बारे में सार्वजनिक राय रखने में भी अधिक एहतियात बरतता है।
भाजपा अब विकास नहीं नोटबंदी के मुद्दे पर लड़ेगी यूपी चुनाव
प्रधानमंत्री ने कानपुर की परिवर्तन रैली में जो कुछ कहा और समझाया, उससे स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव-2017 में भाजपा अपने अहम मुद्दे यानी विकास के मुद्दे से इतर नोटबंदी को ही मुद्दा बनाएगी। जहां लामबंद विपक्ष विमुद्रीकरण की खामियां गिनवा रहा है वहीं भाजपा अब नोटबंदी के फायदे पर बात करेगी।
मोदी सरकार के 'विकास' का ये कैसा पथ?
देश का किसान रो रहा है, युवाओं के लिए रोजगार के अवसर लगातार कम हो रहे हैं और 27 देशों के साथ भारत व्यापारिक घाटे की स्थिति में हैं। तो ऐसे में जीडीपी का हवाला देते हुए सरकार का अपनी पीठ थपथपाना भला कैसे तर्कसंगत हो सकता है? इस तरह के हालातों के बीच नरेंद्र मोदी कैसे विकास पुरूष बन पाएंगे? आंकड़ों की मानें तो विगत तीन बरस में किसानों की कमाई में 27 फीसदी तक कमी आई है। वहीं देश में बीते 9 बरस में सरकारी महकमें में नौकरियों में कमी आई है। तो विदेश नीति को लेकर काफी सक्रिय दिख रही सरकार के कार्यकाल में ही ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, रूस, यूक्रेन, चीन समेत 27 देशो के साथ व्यापारिक असंतुलन की स्थिति बनी हुई है।
‘बिहार के भले’ की सरकार बननी जरूरी
बिहार चुनाव में जातीय भावना को उभारने की लड़ाई चरम पर है। रोजगार, स्वास्थ्य, कानून-व्यवस्था कोई मुद्दा दिख नहीं रहा। लेकिन, बिहार में रह रहे बिहारी और बाहरी बिहारियों के लिए ये मुद्दा जरूर होगा। उम्मीद तो यही है कि 8 नवंबर को जिसकी भी सरकार बनेगी इन्हीं मुद्दों के इर्द गिर्द बनेगी।
...और भटक गया विकास का मुद्दा
सास-बहू के सिरियल की तर्ज पर इन दिनों हमारी सभी पार्टियां तू-तू, मैं-मैं करने में जुटी हैं। शुरूआत तंज कसने से हुई जो गालीगलौज से होते हुए अब वीडियो सीडी वार तक पहुंच गई है। दामादश्री से आगाज भाजपा ने किया तो कांग्रेस ने भाजपा के पीएम उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी की सीडी जारी कर दी। जिसमें वो हवाला कारोबारी अफरोज फंट्टा के साथ दिख रहें हैं। कांग्रेस का आरोप है कि उसके नरेंद्र मोदी और भाजपा से संबंध हैं।