अर्थतंत्र और बिगड़ा; वित्त वर्ष की पहली तिमाही में GDP घटकर हुई 5 प्रतिशत, 6 वर्षों में सबसे कम
भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में सुस्ती के आंकड़ों को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों ने भी समर्थन दिया है। एनएसओ के ताजा आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-जून 2019 के लिए भारत की वृद्धि दर एक बार फिर घटकर 5 प्रतिशत रह गई है।
RBI ने जीडीपी विकास दर अनुमान 7 फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी किया
भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो और रिवर्स रेपो दर में कटौती के अलावा सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी विकास दर का अनुमान भी घटाया है। केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए इस अनुमान को 7 फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के लिए 5.8 से 6.6 फीसदी का जीडीपी ग्रोथ अनुमान जारी किया है।
भारतीय अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका, विकास दर घटकर तीन साल के निचले स्तर 5.7 फीसदी पर पहुंची
मोदी सरकार के विकास के तमाम दावों के बीच मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की विकास दर घटकर केवल 5.7 फीसदी रह गई। एक साल पहले समान तिमाही में यह 10.7 प्रतिशत था। पिछले तीन साल की किसी भी तिमाही का यह सबसे बुरा प्रदर्शन है। इससे पिछली तिमाही (जनवरी-मार्च 2017) में जीडीपी की वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत रही थी। 2016-17 की पहली तिमाही की संशोधित वृद्धि दर 7.9 प्रतिशत थी।
GDP ने मोदी सरकार को दिया आर्थिक झटका
देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर मौजूदा वित्त वर्ष में 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यह 2015-16 में 7.6 प्रतिशत थी। आर्थिक वृद्धि दर में कमी का कारण विनिर्माण, खनन तथा निर्माण क्षेत्रों में नरमी बताई जा रही है। गौरतलब है कि सरकार के इस आंकड़े में नोटबंदी के बाद के ‘उतार-चढ़ाव’ वाले आंकड़े को शामिल नहीं किया गया है। नोटबंदी के आंकड़े का शामिल करने के बाद अनुमान और भी भयावह तस्वीर पेश करने वाले हो सकते हैं।
GDP की सुस्त रफ्तार से मोदी सरकार को झटका
मोदी सरकार को आर्थिक मोर्चे पर झटका लगा है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में जीडीपी की रफ्तार .4 फीसदी गिरकर 5.3 फीसदी रह गई है। पिछली तिमाही (अप्रैल-जून) में यह 5.7 फीसदी थी। तब जीडीपी के आंकड़ों से प्रधानमंत्री मोदी बेहद उत्साहित नजर आए थे।