आर्थिक सर्वे-2018 लोकसभा में पेश, तेज रहेगी विकास दर पर महंगाई बढ़ने की चुनौतियां बरकरार
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : सरकार ने अगामी वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था की गुलाबी तस्वीर पेश करते हुये इसके मंदी से उबरकर फिर पटरी पर लौटने की उम्मीद जताई है और कहा कि भारत अगले वित्त वर्ष में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन जायेगा। लेकिन साथ ही इस सर्वे में भविष्य में महंगाई बढ़ने की आशंका व्यक्त की गई है। रिपोर्ट की मानें तो 12 पर्सेंट तक कच्चे तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं जिससे आने वाले समय में महंगाई को पंख लग सकते हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) या डूबे हुए कर्जों का समाधान और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली को लागू करना वो प्रमुख कारक हैं, जिनसे भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर में इजाफा होगा।
सोमवार को लोकसभा में वर्ष 2017-18 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि जीडीपी विकास दर चालू वित्त वर्ष 2017-18 में 6.75 फीसदी रह सकती है। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया कि सरकार के स्वामित्व वाले बैंकों के लिए पुनर्पूंजीकरण योजना, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों को हाल ही में आसान बनाए जाने और वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार के बीच भारत के निर्यात में इजाफा होने से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और जीडीपी विकास दर बढ़कर 6.5 फीसदी रह सकती है, जोकि पिछले महीने केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) की ओर से जारी अनुमान से अधिक है।
आर्थिक सवेक्षण में उल्लेख किया गया है कि नए ऋणशोधन व दिवालिया संहिता (आईबीसी) में समाधान की एक रूपरेखा प्रस्तुत की गई है, जिससे निगमों को अपने बही खातों को दुरुस्त करने और कर्ज को कम करने में मदद मिलेगी। साथ ही, सरकार ने एक और महत्वपूर्ण प्रस्ताव के जरिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के बही खातों को सुदृढ़ बनाने के लिए पुनर्पूजीकरण पैकेज (जीडीपी का करीब 1.2 फीसदी) की घोषणा की है। इस बात का भी जिक्र किया गया है कि पूर्व की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के 10 साल के कार्यकाल में तेजी के दौरान भारतीय बैंकिंग प्रणाली में एनपीए की जड़ गहरी हो गई, जब यह आश्चर्यजनक ढंग से बढ़कर करीब नौ लाख करोड़ रुपये हो गई।
भारतीय रिजर्व बैंक ने नए ऋणशोधन व दिवालिया संहिता के तहत 12 खातों के समाधान का जिक्र किया है, जिसकी कुल राशि सकल एनपीए का 25 फीसदी है। सरकार ने डूबे हुए कर्ज को लेकर द्विआयामी रणनीति अपनाई है। एक तरफ, सरकार ने आईबीसी को अमल में लाया है, जिसके तहत छह माह की अवधि के लिए ऋणशोधन समाधान की प्रक्रिया शुरू की गई है, तो दूसरी तरफ सरकार ने सरकारी बैंकों के पुनर्पूजीकरण के लिए 2.11 लाख करोड़ रुपये के पैकेज को मंजूरी दी है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा है कि बैंकों को एनपीए की समस्या के समाधान के लिए अपने डूबे हुए कर्ज के 60 फीसदी की कटौती करनी होगी।
संसद में पेश 2017-18 की आर्थिक समीक्षा की मुख्य बातें :-
- देश की आर्थिक वृद्धि दर वित्त वर्ष 2018-19 में 7-7.5 प्रतिशत रहेगी, भारत तीव्र वृद्धि वाली बड़ी अर्थव्यवस्था का तमगा फिर हासिल कर लेगा।
- वित्त वर्ष 2017-18 में आर्थिक वृद्धि दर 6.75 प्रतिशत रहेगी।
- कच्चे तेल की कीमतों में उछाल और शेयर कीमतों में तेज गिरावट के जोखिम के प्रति सतर्कता की जरूरत।
- अगले साल का नीतिगत एजेंडा - कृषि क्षेत्र की मदद की जाए, एयर इंडिया का निजीकरण हो, बैंकों में पूंजी डालने का काम पूरा हो।
- जीएसटी आंकड़ों के अनुसार अप्रत्यक्ष करदाताओं की संख्या में 50 प्रतिशत की वृद्धि।
- राज्यों, स्थानीय निकायों का कर संग्रह संघीय व्यवस्था वाले अन्य देशों के मुकाबले काफी कम।
- नोटबंदी से वित्तीय बचतों को प्रोत्साहन।
- गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) की समस्या के समाधान के लिए ऋण शोधन संहिता का उपयोग सक्रियता से किया जा रहा है।
- खुदरा मुद्रास्फीति 2017-18 में औसतन 3.3 प्रतिशत, छह वित्त वर्ष में सबसे कम।
- देश को अपीलीय तथा न्यायिक क्षेत्रों में लंबे समय से लंबित मामलों के निपटान की जरूरत है।
- गांव से लोगों के शहरों की ओर पलायन से कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी।
- चालू वित्त वर्ष में किसानों के लिए 20,339 करोड़ रुपये की ब्याज सहायता की मंजूरी दी गई।
- सेवा क्षेत्र में 2017-18 में एफडीआई 15 प्रतिशत बढ़ा।
- वैश्विक व्यापार में सुधार से देश का अन्य देशों के साथ कारोबार मजबूत बने रहने की संभावना।
- श्रम कानूनों के बेहतर तरीके से क्रियान्वयन के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाना चाहिए।
- स्वच्छ भारत पहल से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता का दायरा 2014 में 39 प्रतिशत से बढ़कर जनवरी 2018 में 76 प्रतिशत पहुंचा।
- समावेशी वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे सामाजिक बुनियादी ढांचे को प्राथमिकता।
- गंभीर वायु प्रदूषण से निपटने के लिए केंद्र, राज्यों को सहयोग बढ़ाना चाहिए।
- वित्त वर्ष 2017-18 समीक्षा का रंग गुलाबी जिसका मकसद महिलाओं से जुड़े मुद्दों को रेखांकित करना है।
- भारतीय माता-पिता बेटे की चाह में ज्यादा संतान पैदा करते हैं।