'ग्रुप ज्वैल' को बेचने की फिराक में थे रतन टाटा: साइरस मिस्त्री
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्लीः टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री और ग्रुप के अंतरिम अध्यक्ष रतन टाटा के बीच अहम की जंग जारी है। अब मिस्त्री ने रतन टाटा पर गंभीर आरोप लगाया है। उनका कहना कि रतन टाटा, टाटा कंसल्टैंसी सर्विसेज (टी.सी.एस.) को दुनिया की टॉप कंपनी आई.बी.एम. को बेचने की तैयारी कर रहे थे। टी.सी.एस. टाटा संस की सबसे बड़ी कंपनी है, जिससे ग्रुप को खासी आमदनी होती है। इसे ग्रुप अपना ज्वैल ऑफ क्राउन मानता है।
ये‘डेथ एक्सपीरियंस’सा था
मिस्त्री के कार्यालय ने बयान जारी किया है। जिसके मुताबिक, बतौर टाटा ग्रुप के चेयरमैन के कार्यकाल के दौरान उसे ‘डेथ एक्सपीरियंस’ हुआ। उन्होंने कहा कि एक समय रतन टाटा ने टी.सी.एस. को आई.बी.एम. के हाथों बेचने की तैयारी कर ली थी। टी.सी.एस. को टाटा संस में ‘ग्रुप ज्वेल’ कहा जाता है।
प्रयासों में कोई कमी नहीं थी
बयान में कहा गया है कि मिस्त्री टीसीएस की क्षमता बढ़ाने के लिए प्रबंधन के साथ करीब 60 ग्लोबल सीईओ के साथ मिले थे। उनके प्रयासों से टीसीएस ने स्पेशल डिविडेंड दिया था। इसके अलावा मिस्त्री अमेरिका और यूरोप में टीसीएस कंस्टमर समिट में भी हिस्सा लिया था और नवंबर में जापान में होने वाली बैठक में भी भाग लेने वाले थे।
रतन टाटा का इगो बड़ा
उन्होंने टी.सी.एस. और जे.एल.आर. की सक्सेस में उनके द्वारा योगदान नहीं दिए जाने के आरोपों पर भी जवाब दिया। मिस्त्री ने कहा कि यह आरोप लगाकर उनके खिलाफ ‘भ्रम’ फैलाया जा रहा है। मिस्त्री ने टाटा ग्रुप की कोरस डील पर भी सवाल खड़े किए और रतन टाटा को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि कोरस डील के लिए चुकाई गई ऊंची कीमत रतन टाटा के ‘ईगो’ का परिणाम थी।