इस आरक्षण से बदलेगा देश!
लोकसभा में आर्थिक आधार पर आरक्षण बिल पारित होने के बाद मीडिया में और राजनीति तौर पर इसे सवर्ण आरक्षण बिल भी कहा जा रहा है, क्योंकि इसका लाभ आर्थिक आधार पर पिछड़े सवर्णों को मिलने की बात कही जा रही है। मैं निजी तौर पर जातिगत आरक्षण का घोर विरोधी हूं और इसीलिए सवर्ण आरक्षण का भी, लेकिन इस आरक्षण का फैसला लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह जरूर साबित करने की कोशिश की है कि सबका साथ सबका विकास सिर्फ चुनावी जुमला नहीं है।
तो ऐसे होगा सबका विकास!
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने मिशन 2019 को लेकर अपनी मंशा जाहिर कर दी है। बता दिया है कि वो फिर से हार्डकोर हिंदुत्व की बात करेंगे। जयपुर में उन्होंने अखलाक वाले उदाहरण के जरिए अपने स्टैण्ड को एक दम सही करार दिया। कहा कि उस वाकये के बाद हमें मिली जीत बताती है कि वो कोई मुद्दा नहीं था और पार्टी को नुकसान नहीं हुआ। क्या नुकसान और फायदे से परे देशहित सर्वोपरि नहीं रहना चाहिए?
मोदी से मिलकर बोले ओली- हमारा विजन है एक
द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत बनाने की कोशिशों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके नेपाली समकक्ष के पी शर्मा ओली ने शनिवार को व्यापक वार्ता की और रक्षा एवं सुरक्षा, व्यापार तथा कृषि जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंध प्रगाढ़ बनाने पर सहमति जताई। बाद में ओली ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और उनका विजन काफी मिलता जुलता है।
सोनिया गांधी का दावा; मोदी का 'सबका विकास' का नारा सिर्फ सत्ता हथियाने की चाल थी
यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले चार साल में कांग्रेस को तबाह करने के लिए सत्ता का अहंकारी खेल खेला। लेकिन सत्ता के अहंकार के आगे कांग्रेस न तो कभी झुकी है और न ही कभी झुकेगी।
'मन की बात' में बोले PM नरेंद्र मोदी- अब दिमाग से भी निकालनी होगी लाल बत्ती
अपने लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि भारत ने हमेशा से 'सबका साथ-सबका विकास' के मंत्र को लेकर आगे बढ़ने का प्रयास किया है और उसका यह मूलमंत्र सिर्फ देश के भीतर ही नहीं, बल्कि वैश्विक परिवेश और पड़ोस के देशों के लिए भी है। वीआईपी कल्चर पर हमला बोलते हुए पीएम मोदी ने यह भी कहा कि दिमाग से भी लाल बत्ती जानी चाहिए।
'भारत माता की जय' पर बखेड़ा कब तक?
देश की राजनीति भटक सी गई है। कभी आरक्षण का मुद्दा, कभी अभिव्यक्ति की आजादी का मुद्दा तो कभी राष्ट्रीय नारा और राष्ट्रगान को लेकर बहसबाजी। ये सभी मुद्दे सत्ता में बने रहने की जद्दोजहद के लिए की जाने वाली राजनीति तो हो सकती है, लेकिन इससे राजनीति के असल मायने 'लोकतंत्र के विकास' की अवधारणा टूटती दिख रही है। देश में बड़ा बखेड़ा खड़ा होता दिख रहा है। जी हां! हम बात करे रहे हैं 'भारत माता की जय' पर चल रहे बखेड़ा की। बड़ा सवाल जिसका जवाब कोई नहीं दे रहा कि 'भारत माता की जय' बोलने या ना बोलने से 125 करोड़ देशवासियों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में हासिल क्या हो रहा है? क्या इससे गरीबी मिट जाएगी? क्या इससे लातूर जैसे इलाके में पानी का संकट दूर हो जाएगा? क्या इससे स्वास्थ्य और शिक्षा के स्तर पर देश ऊंचाईयों की बुलंदी छू पाएगा? और सबसे बड़ी बात ये कि 'भारत माता की जय' का नारा लगा-लगा कर मोदी सरकार 'सबका साथ सबका विकास' के लक्ष्य को हासिल कर अच्छे दिन का जो सपना देश दिखाया है, पूरा कर पाएगी?
'कांग्रेस और मित्रों' से वेंकैया की गुहार!
राज्यसभा में हुई किरकिरी से परेशान संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू ने अपने कई अहम विधेयकों को पास कराने के लिए 'कांग्रेस और मित्रों' से सहयोग देने की अपील की है। चेन्नई एयरपोर्ट पर पत्रकारों से मुखातिब वेंकैया ने कहा कि देश के लोगों के व्यापक हित को सोचते हुए सरकार कr 'सबका साथ सबका विकास' पहल को समर्थन दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि 'कांग्रेस और मित्रों' को देश के व्यापक हित को ध्यान में रखते हुए राज्यसभा में इन बिलों को पास कराना चाहिए। गौरतलब है कि कोयला बिल और बीमा पास निचले सदन यानी लोकसभा में तो पारित हो गया है लेकिन संख्या बल की कमी की वजह से ऊपरी सदन में इसके पास होने पर संशय बरकरार है।