संघ का अविश्वास
हाल ही में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की ओर से दो ऐसे बयान आए हैं जो देश के संविधान के प्रति उसके अविश्वास को दर्शाते हैं । सरसंघचालक मोहन भागवत ने डंके की चोट पर कह डाला है कि उन्हें देश की न्याय व्यवस्था पर विश्वास नहीं है। उन्होंने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उंगली उठाई है तो एक बार फिर राम मंदिर के जरिए हमारे संविधान को चुनौती देने का काम किया है। उन्होंने कहा है कि राम मंदिर पर अलग कानून बनाने की जरूरत है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने राम मंदिर को लेकर कहा कि राम मंदिर का बनना गौरव की दृष्टि से आवश्यक है, मंदिर बनने से देश में सद्भावना व एकात्मता का वातावरण बनेगा। तो क्या संघ प्रमुख के इस बयान को सरकार और कोर्ट पर दबाव बनाने की राजनीति ना करार दिया जाए?
UP के CM योगी हिंदुत्व नहीं, राष्ट्रीयता का चेहरा : संघ
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की कमान योगी आदित्यनाथ को सौंपे जाने और उनके कामकाज से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) संतुष्ट नजर आ रहा है। यही कारण है कि आरएसएस अब योगी को हिंदुत्व नहीं, बल्कि 'राष्ट्रीयता का चेहरा' मानने लगा है। स्पष्ट है कि संघ अब योगी को राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकारिता प्रदान कराने की जुगत में है।