बिहार में इन तीन उपायों से कांग्रेस करेगी वापसी : राजेश लिलोठिया
राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी उन राज्यों में फिर से वापसी की तैयारी में जुट गई है जिन राज्यों में कभी उसका राजनीतिक वर्चस्व हुआ करता था। बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में इस दिशा में प्रयास तेज कर दिए गए हैं और पार्टी ने अपनी युवा फौज को इस काम की जिम्मेदारी सौंपी है। इसी मुद्दे पर सत्ता विमर्श के संपादक प्रवीण कुमार ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में बिहार कांग्रेस के प्रभारी सचिव पद पर नियुक्त राजेश लिलोठिया से लंबी बातचीत की और उनसे यह जानने का प्रयास किया कि कांग्रेस ने प्रदेश में अपने खोये जनाधार को पाने के लिए जो रोडमैप तैयार किया वह कितना कारगर होगा। राजेश लिलोठिया कांग्रेस पार्टी के कद्दावर युवा और दलित नेता हैं। दिल्ली के पटेल नगर से दो बार विधायक रहे हैं। बिहार की जिम्मेदारी मिलने से पहले गुजरात चुनाव में भी राहुल गांधी ने इन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी थी जिसका अच्छे से निर्वहन किया।
सवाल : बिहार की राजनीति में कांग्रेस पार्टी के भविष्य को आप किस रूप में देखते हैं? क्या कांग्रेस पार्टी की 1990 से पहले वाली कांग्रेस के रूप में वापसी संभव है?
जवाब : बिहार के लोगों में ऊर्जा की कोई कमी नहीं है। बेइंतहा ऊर्जा है बिहारवासियों में और उनको व उनकी ऊर्जा को बस एक दिशा देने की जरूरत है। और मेरा ऐसा मानना है कि 1990 के पहले बिहार में जिस तरह से कांग्रेस पार्टी का वर्चस्व रहा है उस स्थिति में लौटने की बात करें तो थोड़ा समय जरूर लगेगा लेकिन यह संभव है। अगर हमारे कार्यकर्ता गांव के स्तर पर, पंचायत के स्तर पर, प्रखंड के स्तर पर सक्रिय हो जाएं तो ये समझिए कि हर घर के अंदर कांग्रेसी है। आपको मालूम है कि देश की आजादी की लड़ाई चंपारण से शुरू हुई थी और चंपारण बिहार का हिस्सा है। इस आजादी की लड़ाई में हर आदमी ने अपना योगदान दिया था। योगदान देने का मतलब कि वह स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा था। आज जब मैं पंचायतों में जाकर किसी परिवार से बात करता हूं तो लोग कहते हैं कि हमारे दादाजी स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े थे। स्वतंत्रता संग्राम की जो लड़ाई थी वह कांग्रेसजनों ने लड़ी थी। आजादी की लड़ाई लड़ने वाले बिहारवासियों की जो लेगेसी थी वह कांग्रेस की है। लेकिन बिहार की राजनीति में कुछ इस तरह का दौर आया कि 1990 के बाद गठबंधन की राजनीति में जिन दलों से हमारा गठबंधन हुआ उन दलों की बुराईयां कांग्रेस पार्टी पर थोप दी गईं। इस वजह से हमारा जो वोट बैंक था वह वहां की जो रीजनल पार्टियां थी उसमें शिफ्ट हो गया।
सवाल : तो क्या गठबंधन की राजनीति कांग्रेस के लिए नुकसानदेह रही?
जवाब : बिलकुल। 200 प्रतिशत। गठबंधन की राजनीति जो पूर्व में हुई उसकी वजह से जो हमारा वोट बैंक था वह खिसक कर दूसरे क्षेत्रीय दलों में चला गया। मेरा ऐसा मानना है कि पार्टी के नेताओं द्वारा उस वक्त जो फैसले लिए गए थे (हालांकि उस वक्त की क्या राजनीतिक परिस्थितियां रहीं होगी मुझे मालूम नहीं), वो पार्टी के हित में नहीं थे। अगर उस वक्त सख्त फैसले लिए गए होते, संगठन और कांग्रेस के भविष्य को ध्यान में रखकर लिए गए होते तो शायद कांग्रेस की आज ये स्थिति नहीं होती। आज हम जूनियर पार्टनर की हैसियत में बिहार की राजनीति में नहीं होते। जहां तक जातिगत राजनीतिक प्रबंधन की बात है तो निश्चित रूप से बिहार की राजनीति में कास्ट फैक्टर की भूमिका अहम है। मैं बताना चाहूंगा कि आज की परिस्थिति में राहुल गांधी जी जिस निष्ठा और ईमानदारी के साथ कांग्रेस के संगठन को मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं और जो दिशा-निर्देश देकर हम लोगों को बिहार भेजा है, बहुत स्पष्ट है कि संगठन को गांव स्तर पर, प्रखंड के स्तर पर मजबूती चाहिए। हम उस दिशा में काम कर रहे हैं। हमें लीडरशिप को ग्रो करना पड़ेगा, आइडेंटीफाइ करना पड़ेगा। हम अलग-अलग जातियों के नेताओं को अलग-अलग दलों से जो इंपोर्ट करते हैं, मेरा व्यक्तिगत रूप से मानना है कि उस पर रोक लगनी चाहिए। पार्टी के अंदर पोटेंशियल की कमी नहीं है, लीडरशिप की कमी नहीं है। आज अगर राहुल गांधी जी ने मुझे पिक किया, मैं यूथ कांग्रेस का प्रेसिंडेंट था, विधायक था तो मुझे काम करने के लिए एक दिशा मिली, काम करने का हौसला मिला तो आज मैं काम कर रहा हूं। इस तरह हम लोगों को लीडरशिप की सेकेंड लाइन को डेवलप करना होगा। क्योंकि वर्तमान में जो लीडरशिप है उसकी अपनी उपयोगिता है लेकिन आने वाले भविष्य को ध्यान में रखते हुए हमें यंग लीडरशिप को ग्रो करना होगा।
सवाल : वो तीन फार्मूले क्या होंगे जो बिहार में कांग्रेस को मजबूती प्रदान करेंगे और लीडरशिप को ग्रो करेगा, आप क्या कहेंगे?
जवाब : बिहार में लीडरशिप को ग्रो करने की बात करें तो राहुल गांधी जी से हमें प्रेरणा मिली है, हम दो-तीन योजनाओं पर काम कर रहे हैं और उम्मीद करते हैं कि इससे आने वाले 100 दिनों में हम अपने संगठन को मजबूती के साथ खड़ा कर पाएंगे। मैं अपनी बात करूं तो मैं सुनिश्चित करता हूं कि बिहार के कई जिलों का दौरा कर चुका हूं और इस दौरान कार्यकर्ताओं से मिलने के बाद, संगठन की वर्तमान में क्या स्थिति है उसकी जानकारी लेने के बाद हम महादलित बस्तियों में जाते हैं। इन बस्तियों में जब हम जाते हैं तो हम अपनी टीम में महिला रोग विशेषज्ञ को लेकर जाते हैं और वहां मेडिकल कैंप भी लगाते हैं। वहीं पर हम सेनेटरी नेपकिन बांट रहे हैं, दवाईयां बांट रहे हैं और काउंसलिंग कर रहे हैं। और वहां के लोगों को हम कांग्रेस के इतिहास के बारे में बताते हैं। वहां पर हमारे जो कार्यकर्ता हैं वो वहां के लोगों को बताकर आते हैं कि बाबा साहेब अंबेडकर ने भारतीय संविधान में हमें जो सुरक्षा कवच दिया था उसको भारतीय जनता पार्टी ने छीन लिया है। बस इतना कहने के साथ ही लोग शुरू हो जाते हैं। हमें इस बात का आश्चर्य भी हुआ और खुशी भी हुई कि गांव में रहने वाला जो पढ़ा-लिखा नहीं है उसको भी मालूम है कि हम लोगों ने आह्वान किया था कि, ये संविधान में जो संशोधन लेकर आए- एससी/एसटी एक्रोसिटी एक्ट को लेकर, उसके ऊपर उनको काफी जानकारी है। वे लोग बोले कि हमने बंद किया तो हमारे ऊपर मुकदमे लाद दिए। हम लोग शांतिपूर्ण मार्च कर रहे थे और हम लोगों को घर से बुलाकर मुकदमे दर्ज कर दिए। तो लोग इस चीज को लेकर जागरूक हैं। वो वास्तव में हमारा, कांग्रेस का वोट बैंक था। हम जब उनके पास जा रहे हैं तो कहने लगते हैं कि हम तो कांग्रेसी ही हैं। आप हमारे पास आएंगे तो हम आपको वोट देगें। इस तरह से हम नेटवर्किंग बढ़ा रहे हैं और संगठन को मजबूत करने का काम कर रहे हैं और मैं खुद एक दलित नेता हूं। मैं लोगों को बताता हूं कि मेरे परिवार में मेरे पेरेंट्स ने शिक्षा को अनिवार्य कर दिया था कि मेरे बच्चों को पढ़ाई-लिखाई जरूरी है। मुझे अच्छी शिक्षा मिली और आज उसका रिजल्ट सामने है। तो मेरी कम्युनिटी के लोग मेरा उदाहरण देते हैं, एक आइकॉन की तरह बुलाते हैं कि पढ़ाई लिखाई से हम लोग कहां तक जा सकते हैं। दूसरा जो हमारा कार्यक्रम होता है वह माइनॉरिटी में यानी मुस्लिम बस्ती में होता है। माइनॉरिटीज और ईबीसी (एक्स्ट्रा बेकवार्ड क्लासेज) के जो लोग होते हैं, नेता होते हैं उनसे हम मिलते हैं। इसके साथ-साथ एक और कार्यक्रम वरिष्ठ कांग्रेसजन सम्मान समारोह हमने शुरू किया है। इसके तहत 60 साल से अधिक उम्र के जो कांग्रेस जन हैं या उनका परिवार है उनको एक प्रशस्ति पत्र, एक शॉल देकर हम सम्मानित करते हैं और उनको कांग्रेस की राजनीति की मुख्यधारा से जोड़ने का काम करते हैं। यह काम जिलास्तर से शुरू किया गया है और इसे आगे प्रखंड, पंचायत और फिर गांव स्तर पर किया जाएगा।
सवाल : क्या कोई ऐसी समय सीमा पार्टी ने तय की है कि इतने दिनों में हम संगठन को इस स्तर पर खड़ा कर देंगे ताकि पार्टी अकेले दम पर बिहार में चुनाव लड़ सके?
जवाब : देखिए! चुनाव से पहले, मेरा ऐसा मानना है कि आगामी लोकसभा चुनाव हम गठबंधन में ही लड़ेंगे। हमारा महागठबंधन होगा और इसके तहत ही हम चुनाव लड़ने जा रहे हैं। मेरा मानना है कि आगामी 100 दिनों में संगठन को ब्लॉक स्तर पर, गांव स्तर पर ले जाएंगे। हम महीने में 20-20 दिन प्रदेश के दौरे पर जा रहे हैं। हमारे बिहार के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल जी नियमित रूप से विजिट कर रहे हैं और संगठन के काम पर निगरानी रख रहे हैं। हम इस तरह से काम कर रहे हैं जैसे कि वो हमारी कर्मभूमि है। जहां तक 2024 में कांग्रेस के अकेले चुनाव में जाने की बात है तो मेरी ये व्यक्तिगत राय है कि कांग्रेस पार्टी की जो लाइन होगी वो हमें फॉलो करनी है। चूंकि हम संगठन से निकले लोग हैं और मेरा मानना है कि अगर हमारा संगठन मजबूत है और हम राष्ट्रीय पार्टी है तो हम अकेले भी चुनाव लड़ सकते हैं। गठबंधन की जरूरत तब पड़ती है जब पार्टनर पूरी तरह से कहीं न कहीं मजबूती महसूस नहीं करते हैं। हमें मालूम है कि हमारी कुछ कमजोरियां हैं। उसी तरीके से हमारे गठबंधन के पार्टनर्स को भी मालूम है कि उनकी भी कुछ कमजोरियां है। और गठबंधन करने का भी जो उद्देश्य है वो सिर्फ एक है, हमारा एकसूत्रीय प्रोग्राम है कि आरएसएस की जो विचारधारा आज देश में है, सत्ता में है और जो देश के अंदर खून-खराबे की राजनीति कर रही है, जिनकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है, आज जिनकी वजह से किसान आत्महत्या कर रहा है, आज जिनकी वजह से नौजवानों को जो रोजगार मिलना चाहिए था वो नहीं मिल पा रहा है, जो लोग महिला सुरक्षा की बात कर रहे थे, रोज बलात्कार हो रहा है, तो हमारा सबसे बड़ा टारगेट होगा कि हम इस सरकार को सत्ता से उखाड़ फेकें।
सवाल : मजबूत लोकतंत्र के लिए युवाओं की भूमिका काफी अहम होती है। कांग्रेस पार्टी के प्रति जो आकर्षण युवाओं का होना चाहिए वो जमीन पर दिखता नहीं है। इसका बड़ा नुकसान 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को भुगतना पड़ा। भविष्य में इसकी भरपाई के लिए पार्टी के पास क्या योजना है?
जवाब : देखिए! हमारा जो कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व है, शीर्षतम नेतृत्व की बात करें तो राहुल गांधी जी हमारी कांग्रेस पार्टी के लीडर हैं और यूथ आइकॉन भी हैं। उनका उद्देश्य अगर मेरे जैसे एनएसयूआई के प्रोडक्ट, यूथ कांग्रेस के प्रोडक्ट को एआईसीसी में बिठाने का है तो ये बड़ा स्पष्ट है कि वो चाहते हैं कि नौजवानों को कांग्रेस की मुख्यधारा की राजनीति और संगठन से जोड़ा जाए। और उनका यह प्रयास काफी सफल होता दिख भी रहा है। उन्होंने पूरे देशभर से जो 35-40 लोगों को आइडेंटीफाई करके एआईसीसी में सचिव बनाया जो सभी के सभी 45-50 से नीचे की उम्र के हैं। तो उनकी जो सोच है उससे हमें प्रेरणा मिलती है कि हमें इसी दिशा में आगे जाना है। जब हम यहां बैठे हैं तो जाहिर सी बात है यहां संगठन में जितने भी लोग हैं वो भी इससे प्रेरित होंगे, उत्साहित होंगे। यह एक चेन सिस्टम है। राहुल जी ने नींव डाल दी है और उसके ऊपर इमारत खड़ा करने का काम हमारा है। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का है कि युवाओं को ज्यादा से ज्यादा जोड़ें। भाजपा और अन्य क्षेत्रीय पार्टियों के साथ जो यूथ गया और आपको पता है कि आज भी यूथ के सामने जो सबसे बड़ी समस्या है वो रोजगार की है, इन्होंने (भाजपा) जो 2 करोड़ प्रतिवर्ष रोजगार देने का वादा किया था उससे युवाओं में एक उम्मीद जगी। हम लोगों ने कोई झूठ नहीं बोला। इन लोगों ने उम्मीद जगाई और उनके जज्बातों के साथ खिलवाड़ किया। मैं तो इनसे एक छोटा सा सवाल करता हूं कि सत्ता में आने के बाद मैं करोड़ों की तो बात नहीं करूंगा, लाख की भी बात नहीं करूंगा, एक साल में कितने हजार युवाओं को रोजगार दिया सिर्फ इसकी जानकारी दे दें।
सवाल : युवाओं को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए कांग्रेस के पास क्या प्रोग्राम्स हैं? मसलन, मोदी जी ने युवाओं को लुभाने के लिए 2 करोड़ रोजगार प्रतिवर्ष देने का वादा किया था।
जवाब : हमारे युवा कांग्रेसियों के लिए यूथ कांग्रेस है, छात्रों का संगठन एनएसयूआई है। ये सभी संगठन युवाओं के लिए हैं और युवाओं से संबंधित कार्यक्रमों का आयोजन करते रहते हैं। जहां तक आपका सवाल है कि नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से हर साल 2 करोड़ नौजवानों को रोजगार देने का वादा कर युवाओं को अपने पक्ष में कर लिया इसकी काट में कांग्रेस के पास युवाओं के लिए क्या प्रोग्राम्स हैं तो मैं बताना चाहूंगा कि अभी वक्त है। पार्टी की अलग-अलग कमेटियां इस पर काम करती हैं। पार्टी का घोषणा पत्र बनाने का काम जिन समितियों को दिया जाएगा वो लोग इसपर विचार करेंगे। हम भी अपना इनपुट इन समितियों को देंगे। इसके बाद घोषणा पत्र के रूप में जनता के सामने रखा जाएगा।
सवाल : छात्र राजनीति और युवा राजनीति को आप करीब से समझते हैं। 2014 के चुनावों में नरेंद्र मोदी का जादू जिस कदर युवाओं पर छाया था क्या वह जादू 2019 के चुनाव में भी बरकरार रहेगा या फिर...?
जवाब : जादू खत्म हो चुका है। जो झूठ बोलकर उन्होंने युवाओं पर काला जादू किया था, उन्हें गुमराह किया था उसका असर खत्म हो गया है। बार-बार लोगों को बेवकूफ नहीं बना सकते हैं। एक बार कोई बेवकूफ बन सकता है अपनी मर्जी से। देश की जनता बहुत समझदार है, जागरूक है। उन्होंने एक बार आप पर विश्वास किया, आपने उनके साथ विश्वासघात किया। लेकिन बार-बार आप विश्वासघात नहीं कर सकते हैं। क्योंकि हमारी जो जनसंख्या है यंग कंट्री की उसमें सबसे ज्यादा आबादी नौजवानों की है। जब आप उनसे पकौड़े तलने की बात करेंगे, बोलेंगे चाय बनाओ, पकौड़े बनाओ तो हमारे पढ़े-लिखे तबके के जो नौजवान हैं वो सोचने को मजबूर होंगे कि हमने पकौड़े तलने के लिए थोड़े ही इतनी पढ़ाई-लिखाई की है। आपने (मोदी सरकार) उनको कोई दिशा तो दी नहीं, उनको कोई रोजगार तो दिया नहीं, उनसे जो वादे किये थे उसे पूरे तो किए नहीं। तो उनपर नशा तो उतर चुका है। अब तो इंतजार इस बात का हो रहा है कि 2019 में किस तरह से चुनाव में जाएंगे और वो (नौजवान, किसान, बुजुर्ग, महिलाएं) अपना फैसला किस रूप में सुनाएंगे। कम से कम नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ तो ये लोग वोट डालेंगे ऐसा मेरा मानना है। जहां तक भाजपा की नीतियों से नाराज होकर अत्यधिक निराशा में नौजवानों के वोट देने से परहेज करने का सवाल है तो मैं आपको बता दूं कि आमतौर पर ऐसा होता नहीं है। कुछ लोग ऐसा करते हैं और इसीलिए चुनाव आयोग ने नोटा बटन का विकल्प दे रखा है। लेकिन कोई भी पढ़ा-लिखा व्यक्ति अपने वोट का सदुपयोग करता है, दुरूपयोग नहीं करता है। नोटा डालने का मतलब तो वोट का दुरूपयोग करना हो गया। आगामी चुनाव में नौजवान हमारे साथ जाएंगे, ऐसा हमारा मानना है।
सवाल : दिल्ली राजनीतिक रूप से आपकी कर्मस्थली रही है। दो बार दिल्ली से आप विधायक भी रहे हैं। शीला सरकार की पहचान एक काम करने वाली सरकार के रूप में रही है। आखिर क्या वजह रही कि पिछले चुनाव में कांग्रेस का दिल्ली से पूरी तरह से सफाया हो गया?
जवाब : दिल्ली के अंदर 15 साल में जिस तरह का चहुंमुखी विकास कांग्रेस पार्टी ने किया वो किसी से छुपा नहीं है। इसे एंटी इंकम्बेंसी कह सकते हैं हम लोग। दूसरा दिल्ली में एक नई पार्टी (आम आदमी पार्टी) आई और उसने ठीक जिस तरह से नरेंद्र मोदी जुमलेबाजी करते हैं, झूठ बोलते हैं, फरेब करते हैं उसी तरह से उसने लोगों को प्रलोभन दिया, झूठे वायदे किए। आप देखिए, पिछले चार साल के अंदर देश पीछे गया नरेंद्र मोदी की सरकार में लेकिन दिल्ली 15 साल पीछे चली गई केजरीवाल के शासन में। केजरीवाल ने जिस तरह से नौजवानों को दिल्ली में फ्री-वाईफाई समेत कई वादे किया था तो युवाओं ने सोचा कि क्यों ने इसे एक बार मौका दिया जाए। लेकिन आज दिल्ली की जनता त्राहिमाम कर रही है। दिल्ली की जनता आज पश्चाताप कर रही है कि हमने ऐसा गलत फैसला क्यों किया। हमारे पास हमारे क्षेत्र के लोग आते हैं, बात करते हैं और बताते हैं कि हमसे गलती हो गई। अब हमारे पास भी इसका कोई समाधान नहीं है। पांच साल तो इन्हें भुगतना ही पड़ेगा। अब आगामी चुनाव में अगर कांग्रेस फिर से सत्ता में आती है तो हम फिर से काम करेंगे। कांग्रेस को शासन चलाने का अनुभव ज्यादा है चाहे वो केंद्र की सरकार हो या फिर दिल्ली की सरकार का।
सवाल : एंटी इंकम्बेंसी का फैक्टर सिर्फ कांग्रेस पर ही क्यों लागू होती है? भाजपा की सरकारों (मध्यप्रदेश, छत्तीसढ़, गुजरात) पर क्यों नहीं लागू होता है?
जवाब : हमसे लोगों की उम्मीदें ज्यादा हैं। कांग्रेस पार्टी से लोगों की उम्मीदें ज्यादा हैं। लोग ऐसा मानते हैं कि वो जैसा सोचते हैं, कांग्रेस पार्टी वैसा कर सकती है। कई बार जब हम लोग उनपर खरे नहीं उतरते हैं क्योंकि ह्यूमन डिमांड बहुत बड़ी होती है, उनकी आकांक्षाएं बहुत बड़ी होती हैं तो उसके अंदर हम लोगों की भी एक सीमाएं होती हैं। इसे आप एक उदाहरण से समझ सकते हैं। जब शीला जी मुख्यमंत्री थीं और हम उनके साथ विधायक थे तो विधानसभा चुनाव के दौरान हमने शीला जी से कहा कि आम आदमी पार्टी मुफ्त बिजली और पानी की बात कर रहा है तो हम भी इस तरह की घोषणा कर देते हैं ताकि लोग हमारी पार्टी को फॉलो करें तो शीला जी ने साफ-साफ कहा कि अधिकतम क्या होगा- हम चुनाव हार जाएंगे लेकिन हम जनता से झूठ नहीं बोलेंगे। बिजली का उत्पादन हम नहीं करते हैं। अगर हम एक यूनिट बिजली किसी कंपनी से 3 रुपये में खरीद रहे हैं तो उसे हम डेढ़ रुपये में कैसे दे सकते हैं और कितने दिन दे सकते हैं। तो झूठ बोलकर हम ऐसा काम नहीं कर सकते हैं। जहां तक पानी की बात है तो पहले 50 फुट खोदकर पानी निकलता था दिल्ली में। आज मेरे क्षेत्र में 500 फुट नीचे जाने के बाद भी पानी नहीं मिलता है। बोरिंग फेल हो जाती है। तो पानी को हम मुफ्त में देने की बात करते हैं तो हम भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, आने वाली पीढ़ी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। तो हम नहीं करेंगे और उन्होंने मुफ्त पानी के लिए भी मना कर दिया। और इस प्रकार से चुनाव हम हार गए। हारने के बाद फिर हम शीला जी के पास गए और उनसे कहा कि उस समय आपने हमारी बात नहीं मानी और हम चुनाव हार गए तो उन्होंने कहा कि इंतजार करो और देखो कि ये लोग किस तरह से काम करते हैं। आज चार साल बाद जब हम शीला जी की बात को याद करते हैं तो साफ दिख रहा है कि आम आदमी पार्टी ने जो वायदे किए थे सब झूठे निकले, धोखा निकला दिल्ली की जनता के लिए। और आज जब वो वादे पूरे नहीं कर पा रहे हैं तो इसका जिम्मेदार कभी एलजी को बना देते हैं तो कभी केंद्र में बैठी मोदी सरकार को बना देते हैं। जबकि सच्चाई यह है कि भाजपा की सरकार शीला जी के कार्यकाल में भी थी। दिल्ली में जब शीला जी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी तो केंद्र में अटल जी प्रधानमंत्री थे। हमने उस समय भी काम किया। कोई काम नहीं रूकता था। हमें मालूम है कि काम कैसे करना है, काम कैसे किया जाता है। हमें अपनी ज्यूरीडिक्सन का पता था, हमें अपनी अथॉरिटी का पता था, हमें अपनी पॉवर का पता था और इसके दायरे में काम कर हम दिल्ली की जनता को उसका बेनिफिट दे देते थे। हम बहाने नहीं बनाते थे। केजरीवाल सरकार तो हर दूसरे दिन बहाने बनाती है। हम देखते हैं आखिरी एक-डेढ़ साल बचे हैं और इसमें वो कितने वादे पूरे कर पाते हैं।
सवाल : डेमोक्रेसी, डाइवर्सिटी और डेवलमेंट का जो आइडिया है इसी के इर्द-गिर्द राजनीति घूमती है। कांग्रेस पार्टी या फिर कांग्रेस नीत सरकारों की राजनीति का भी हमेशा से यही आधार रहा है। ऐसा कहा जा रहा है कि पहली बार इन तीनों ही विचारों पर एक साथ खतरा पैदा हो गया है। तो इस खतरे से निपटने के लिए कांग्रेस क्या कर रही है?
जवाब : इसके लिए हमें एक समान विचारधारा वाली पार्टियों को जोड़ना होगा। समान विचारधारा वाले लोगों को जोड़ना होगा। और शायद इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम गठबंधन में जा रहे हैं। क्योंकि अगर देश को बचाना है, नरेंद्र मोदी के कुशासन से, आरएसएस की विचारधारा से जो देश के अंदर इतना ध्रुवीकरण कर रहे हैं- हिन्दू के नाम पर, मुस्लिम के नाम पर, मंदिर के नाम पर, मस्जिद के नाम पर, गाय के नाम पर, जिन्ना के नाम पर, हर चुनाव से पहले एक नया मुद्दा लाते हैं और उसपर कंट्रोवर्सी शुरू करा देते हैं। तो इनको रोकने के लिए फिलहाल हम लोगों को गठबंधन में आना पड़ेगा। भाजपा से निपटने के लिए, नरेंद्र मोदी की विघटनकारी जो नीतियां है उसे रोकने के लिए हमें गठबंधन में चुनाव लड़ना पड़ेगा। जहां तक इसके लिए रणनीति बनाने की बात है तो यह काम कांग्रेस हाईकमान के जिम्मे है और वो लोग इस काम को बखूबी अंजाम दे रहे हैं। हमें तो बिहार की जिम्मेदारी मिली है और हम उसमें पूरी ईमानदारी के साथ जुटे हुए हैं।