आंध्र प्रदेश की लड़ाई को कांग्रेस पार्टी का मिला साथ, अविश्वास प्रस्ताव का दिया नोटिस
सत्ता विमर्श ब्यूरो
नई दिल्ली : आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस की लड़ाई को अब कांग्रेस पार्टी का भी साथ मिल गया है। शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी ने भी नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है। लोकसभा में सदन के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकसभा महासचिव को इस बाबत पत्र लिखा है। खड़गे ने नियम 198 (बी) के तहत 27 मार्च को अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का नोटिस दिया है। पत्र में 27 मार्च को सदन के कामकाज की सूची में इस आवेदन को शामिल करने का आग्रह किया गया है।
गौरतलब है कि टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव को कांग्रेस पहले ही समर्थन दे चुकी थी। अब उसने खुद भी सदन में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है। हालांकि अविश्वास प्रस्ताव आने पर मोदी सरकार को फिलहाल कोई खतरा नहीं है। लोकसभा में इस समय भाजपा के 273 सांसद हैं। हां, सरकार के लिए थोड़ी मुश्किल सहयोगी दलों के छिटकने और गठबंधन के साथियों के नाराज होने की खबरों को लेकर जरूर है।
जहां तक अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात है तो कांग्रेस के 48 पास सांसद हैं। इस तरह सरकार के खिलाफ प्रस्ताव लाने के लिए जरूरी 50 सांसदों का आंकड़ा आराम से जुट जाएगा। इसके साथ ही वाम दल, आम आदमी पार्टी और बाकी विपक्षी दल भी सरकार के खिलाफ लामबंद हो चुके हैं। शोर शराबे की वजह से संसद पिछले 14 दिनों से नहीं चल पा रही है। आगामी मंगलवार को भी सदन के सुचारू से रूप से चलने की संभावना कम ही दिख रही है। लोकसभा की कार्यवाही शुक्रवार को 27 मार्च तक के लिए स्थगित हो गई थी। सोमवार को रामनवमी की छुट्टी है इसलिए 27 मार्च को सदन की कार्यवाही होगी।
क्या है अविश्वास प्रस्ताव और उसका गणित
लोकसभा सचिवालय अविश्वास प्रस्ताव तभी स्वीकार करता है जब कम से कम 50 सांसद इसका समर्थन करें। जैसे मान लीजिए कि वाईएसआर कांग्रेस या टीडीपी या फिर कांग्रेस संसद की कार्यप्रणाली के तहत मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना चाहती है तो लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन वाईएसआर कांग्रेस, टीडीपी या कांग्रेस के फ्लोर लीडर से प्रस्ताव लाने के लिए कहेंगी जिसे कम से कम 50 सांसदों को खड़े होकर समर्थन करना होगा।
वाईएसआर कांग्रेस के वाईवी सुब्बा रेड्डी और टीडीपी ने अविश्वास प्रस्ताव के लिए नोटिस दिया हुआ है। कांग्रेस ने भी शुक्रवार को लोकसभा महासचिव को पत्र लिखकर अविश्वास प्रस्ताव के लिए आवेदन किया है। टीडीपी के पास लोकसभा में 16 सांसद हैं। वहीं वाईएसआर के 9 सांसद हैं। दोनों के सांसदों को मिला दें तो आंकड़ा 25 हो जाता है। ऐसे में अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए दोनों पार्टियों को 25 और सांसदों की जरूरत होगी। अविश्वास प्रस्ताव पर कांग्रेस दोनों पार्टियों को समर्थन दे चुकी है। कांग्रेस के 48 सांसद हैं। इस तरह सरकार के खिलाफ प्रस्ताव लाने के लिए जरूरी 50 सांसदों का आंकड़ा आराम से जुट जाएगा। इसके साथ ही वाम दल, आप और बाकी विपक्षी दल भी सरकार के खिलाफ लामबंद हो चुके हैं। इस तरह सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आना तय माना जा रहा है।
543 सदस्यीय लोकसभा में फिलहाल 536 सांसद हैं। इसमें भाजपा के 273 सदस्य हैं, जबकि सहयोगी दलों के 56 सदस्य हैं। बहुमत के लिए 536 सदस्यों के आधे से एक अधिक यानी 269 सांसदों के आंकड़े की जरूरत है। कहने का मतलब यह कि अगर अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार कर भी लिया जाता है तो भी निश्चित तौर पर सदन में यह गिर जाएगा। अगर सारे सहयोगी दल भी मोदी के खिलाफ हो जाएं तो सरकार का कुछ बिगड़ने वाला नहीं है। क्योंकि 269 का मैजिक नंबर मोदी के पास ही रहेगा। कुल मिलाकर मोदी सरकार को गिराने के लिए विपक्ष को बहुत बड़े चमत्कार की जरूरत है। यह तभी हो सकता है अगर भाजपा के सांसद ही बागी हो जाएं। हालांकि इसकी संभावना दूर-दूर तक नहीं है।