डोकोमो विवाद पर साइरस ने खोला मुंह, कहा- बंद करें कहना कि टाटा संस के मूल्यों को तोड़ा गया
सत्ता विमर्श ब्यूरो
मुम्बई: कॉरपोरेट जगत में इन दिनों टाटा संस में चल रही उथल पुथल की चर्चा है। रोज नए खुलासे और इस मसले को लेकर राजनीति हो रही है। अब साइरस मिस्त्री ने डोकोमो विवाद पर अपना पक्ष साझा किया है। उन्होंने कहा है कि टाटा संस को उनके सभी फैसलों की जानकारी थी। उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है। मिस्त्री ने ये भी कहा कि डोकोमो के साथ समझौता उनके चेयरमैन बनने से पहले ही हो गया था। दरअसल, टाटासंस ने मिस्त्री पर आरोप लगाया था कि उन्होंने कम्पनी के मूल्यों और नियमों के खिलाफ जाकर डोकोमो से समझौता किया है।
इससे पहले सभी बोर्ड सदस्यों को लिखे अपने खत में मिस्त्री ने कहा था कि टाटाटेली सर्विसेज और डोकोमो के बीच हुई डील ने कई प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं। मंगलवार को मिस्त्री के कार्यालय से बयान जारी किया गया है। जिसमें कहा गया है कि ऐसे दर्शाया जा रहा है जैसे बतौर समूह चेयरमैन मिस्त्री ने ही सारे निर्णय लिए हैं, लेकिन सच्चाई ये है कि मैंने टाटा संस बोर्ड की सहमति और राय से फैसला लिया। उन्होंने इस बात को 'गलत और दुर्भाग्यपूर्ण' बताया कि टाटा-डोकोमो मामले में उन्होंने जो कदम उठाए उसकी जानकारी रतन टाटा को नहीं थी।
बयान में ये कहा है:
ये कहा जाना कि टाटा के संस्कारों और मूल्यों को दरकिनार कर ये समझौता किया गया बिलकुल आधारहीन है। रतन टाटा और बाकी बोर्ड सदस्यों को इसकी पूरी जानकारी थी। डील पर टाटा संस के बोर्ड से कई बार चर्चा हुई थी। वहीं यह समझौता मिस्त्री के चेयरमैन बनने से पहले ही कर लिया गया था। टाटा और ट्रस्टीज ने इस मसले में मिलकर कानूनी विवाद वाले फैसले को मंजूरी दी थी। उन्होने ये भी कहा है कि टाटा को मामले में कानूनी दायरे में रहकर अपने वादे पूरे करने चाहिए। बयान में मिस्त्री की कोशिशों का भी जिक्र है। कहा गया है कि डोकोमो मामले में आरबीआई की आपत्तियों पर मिस्त्री ने दोबारा अपील की थी।
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क्या है डोकोमो-टाटा विवाद?
2010 में जापानी कंपनी डोकोमो ने टाटा टेलीकॉम कंपनी में हिस्सेदारी खरीदी थी, लेकिन प्रतिद्वंदियों की तुलना में ग्राहक बेस तेजी से नहीं बढ़ा तो उसने 2014 में हटने का फैसला किया। - उसने टाटा से खरीदार नहीं ढूंढ पाया और उसने शेयर्स खरीदने की राय दी। लेकिन आरबीआई ने अनुमति नहीं दी। मामला लंदन की इंटरनेशनल कोर्ट में चला और कोर्ट ने डोकोमो के पक्ष में फैसला सुनाया। अदालत ने हर्जाने के तौर पर टाटासंस को 1.2 अरब डॉलर का भुगतान करने को कहा। ऐसा इसलिए क्योंकि टाटा पर लक्ष्य ना पूरा कर पाने पर इस संयुक्त उद्यम से हाथ खींचने का आरोप था।
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यही 1.2 अरब डॉलर टाटासंस से साइरस मिस्त्री की छुट्टी का सबब बने और बात इतनी बिगड़ गई है कि रोज कुछ नए और धमाकेदार खुलासे हो रहें हैं।